हम गरीबो को इतनी नसीब कहाँ
के लोग पूछे बिना ही हाज़िर हो जाये
बात ज़ुबां पे आके रुकी हो फिर भी
पूछे बिना हमे बताया कहाँ जाये!
थोड़ा दर्द दिखा मुझे इन गलियों में ग़ालिब
जो रास्ता दूर से गुज़रती हुयी दिल तक पहुँचती है
दिख रहा है साफ़ आइनों की तरह
दिखाना चाहते हो खोल के या छुपाके इंतज़ार करें?
बोलते हम भी थे बहुत एक ज़माने में
आँखों के आइने आज हमे बेज़ुबान बना दिया
बात कुछ भी हो, ग़म छुपाते है
दोस्त बैठा हो जब सुनने को तैयार, उसे ऐसे जाने देना ज़ुल्म कहलाते है
नाम न पुछुं तो ही बेहतर है इन हालातो में
दीवारों की बेवफाई को नाम न दूँ किसी इंसान का
ज़िन्दगी देती कितनी सी है हम दीवानो को
लुटाते है हम उससे काफी ज़्यादा अफ़्सानो की चाहत में
ग़म छुपा के न जियो दोस्त मेरे
ग़म भुलाके न जियो
खुशबू-ए-दर्द सीनो को महकाते रहे
ग़म को जी भर के जियो
के लोग पूछे बिना ही हाज़िर हो जाये
बात ज़ुबां पे आके रुकी हो फिर भी
पूछे बिना हमे बताया कहाँ जाये!
थोड़ा दर्द दिखा मुझे इन गलियों में ग़ालिब
जो रास्ता दूर से गुज़रती हुयी दिल तक पहुँचती है
दिख रहा है साफ़ आइनों की तरह
दिखाना चाहते हो खोल के या छुपाके इंतज़ार करें?
बोलते हम भी थे बहुत एक ज़माने में
आँखों के आइने आज हमे बेज़ुबान बना दिया
बात कुछ भी हो, ग़म छुपाते है
दोस्त बैठा हो जब सुनने को तैयार, उसे ऐसे जाने देना ज़ुल्म कहलाते है
नाम न पुछुं तो ही बेहतर है इन हालातो में
दीवारों की बेवफाई को नाम न दूँ किसी इंसान का
ज़िन्दगी देती कितनी सी है हम दीवानो को
लुटाते है हम उससे काफी ज़्यादा अफ़्सानो की चाहत में
ग़म छुपा के न जियो दोस्त मेरे
ग़म भुलाके न जियो
खुशबू-ए-दर्द सीनो को महकाते रहे
ग़म को जी भर के जियो
Nice thoughts there...and nice first try too!
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